प्रेरणा गीत
धीरे धीरे यहाका,
मौसम बदलने लगा है
वातावरण सो रहा था,
अब आँख मलने लगा है || धृ ||
पिछले सफर की न पूछो,
टुँटा हुआ ये रथ है |
जो रूक गया था कही पर,
अब साथ चलने लगा है |
धीरे धीरे..............|| १ ||
हमको पता भी नहीं था
वो आग थंडी पडी है |
उस आग मे आज पानी,
सहसा उबलने लगा है |
धीरे धीरे................||२ ||
ये घोषणा हो चुकी है,
मेला लगेगा यहाँ पर |
हर आदमी घर जाकर,
कपडे बदलने लगा है |
धीरे धीरे.................||३ ||
जो आदमी मर चुके थे,
मौजूद है इस सभा मे |
हर शक्स यहाँ कल्पना से,
आगे निकलने लगा है |
धीरे धीरे................|| ४||
खरच खूप अर्थपूर्ण व प्रेरणादायी गीत आहे.आपण ऐकल्यावर इतरांना जरूर ऐकवावे.